Wednesday, 10 December 2025

उत्तर प्रदेश में sir, 3 करोड़ से ज्यादा नाम हटने का खतरा, आयोग ने रोका काम 12 दिसंबर तक बीएलओ-बीएलए की बैठक अनिवार्य, पारदर्शिता बढ़ाने के निर्देश


 उत्तर प्रदेश में sir, 3 करोड़ से ज्यादा नाम हटने का खतरा, आयोग ने रोका काम



12 दिसंबर तक बीएलओ-बीएलए की बैठक अनिवार्य, पारदर्शिता बढ़ाने के निर्देश



लखनऊ, उत्तर प्रदेश में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के तहत अब तक 18.48 प्रतिशत मतदाताओं को मृतक, स्थायी रूप से स्थानांतरित, अनुपस्थित या दोहरी प्रविष्टि की श्रेणी में चिह्नित कर नाम काटने की तैयारी थी। इससे करीब तीन करोड़ मतदाताओं के नाम हटने का खतरा था, जो पूरे केरल राज्य के मतदाताओं से भी ज्यादा है। इसे अत्यधिक मानते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को तत्काल दोबारा सत्यापन करने के सख्त निर्देश दिए हैं।मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि मंगलवार को वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त मनीष गर्ग की अध्यक्षता में सभी मंडलायुक्तों, रोल प्रेक्षकों, जिला निर्वाचन अधिकारियों व अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ ऑनलाइन समीक्षा बैठक हुई। इसमें पाया गया कि प्रदेश के 15.44 करोड़ मतदाताओं के सापेक्ष 98.14 प्रतिशत गणना प्रपत्र डिजिटाइज हो चुके हैं। इनमें से 18.48 प्रतिशत प्रपत्रों को “असंग्रहीत” श्रेणी में डाला गया था। आयोग ने इसे असामान्य रूप से ज्यादा माना और सभी चिह्नित नामों का दोबारा फिजिकल सत्यापन कराने के आदेश दिए।


 आयोग ने स्पष्ट किया कि जिन बूथों पर शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है, वहां बीएलओ अपने बूथ की असंग्रहीत मतदाताओं की सूची मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) को तुरंत उपलब्ध कराएं। साथ ही 12 दिसंबर 2025 तक हर बूथ पर बीएलओ और बीएलए की संयुक्त बैठक कराने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा 72.90 प्रतिशत पुराने मतदाताओं की मैपिंग पूरी हो चुकी है, शेष 27.10 प्रतिशत को शीघ्र पूरा करने को कहा गया है। नए मतदाताओं व 1 जनवरी 2026 को 18 वर्ष पूरे करने वाले युवाओं से फॉर्म-6 भरवाने के भी निर्देश दिए गए हैं। पुनरीक्षण कार्य में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने अब कड़ा रुख अपना लिया है।

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