Wednesday 18 October 2023

आजमगढ़ नहीं होगी जीयनपुर की रामलीला, कोतवाल पर अभद्रता का आरोप समिति ने उपजिलाधिकारी सगड़ी को ज्ञापन सौंप कर कराया अवगत मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों को भेजी रजिस्टर्ड सूचना


 आजमगढ़ नहीं होगी जीयनपुर की रामलीला, कोतवाल पर अभद्रता का आरोप



समिति ने उपजिलाधिकारी सगड़ी को ज्ञापन सौंप कर कराया अवगत


मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों को भेजी रजिस्टर्ड सूचना




उत्तर प्रदेश आदर्श रामलीला समिति जीयनपुर की कार्यकारिणी और सदस्यों ने बुधवार को प्रस्ताव पारित कर कोतवाली प्रभारी पर रामलीला मंचन के दौरान अभद्रता का आरोप लगाते हुए रामलीला मंचन बंद करने का निर्णय लिया है। समिति के सदस्यों ने अपने प्रस्ताव की कापी एसडीएम सगड़ी को सौंपते हुए आवश्यक कार्यवाही की मांग की। साथ ही मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों को रजिस्टर्ड डाक से सूचना दी है। 


आदर्श रामलीला समिति जीयनपुर के अध्यक्ष संतोष चौरसिया और कार्यकारी के सदस्यों की हस्ताक्षर से उप जिलाधिकारी सगड़ी अतुल गुप्ता को देय ज्ञापन में कहा गया है कि 17 अक्टूबर की रात्रि में रामलीला का मंचन चल रहा था। इसी दौरान ग्यारह बजे रात में प्रभारी थाना कोतवाली जीयनपुर विवेक पांडेय रामलीला मैदान में आए और अध्यक्ष को बुलाकर कहा कि रामलीला मंच पर नाच करा रहे हो इसे तुरंत बंद करो। रामलीला मंच पर किसी तरह की नाच नहीं होगी,अगर नाच कराओगे तो तुम्हारे सहित पूरी कमेटी के ऊपर मुकदमा कर जेल भेज दूंगा। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अश्लीलता से भरा हुआ कोई भी गीत एवं नृत्य नहीं हो रहा है। रामलीला के दौरान आवश्यक स्थान पर गीत,नृत्य एवम् प्रहसन कराया जा रहा है। किसी प्रकार की कोई अश्लीलता नहीं हो रही है। आरोप है कि यह कहकर मैं आने लगा तो कोतवाल ने अपशब्दों का प्रयोग किया। जिसको अन्य कार्यकर्ताओं ने सुना। समिति का यह भी आरोप है कि कोतवाल द्वारा समिति के सदस्यों को अपमानित कर उत्पीड़न किया जा रहा है और रामलीला मंचन में बार-बार व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा है।


 सदियों से चल रही रामलीला के मंचन के दौरान नृत्य एक आवश्यक अंग रहा है। इसको लेकर आदर्श रामलीला समिति जीयनपुर की कार्यकारिणी की एक बैठक हुई। जिसमें 18 अक्टूबर से रामलीला न करने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में समिति के अध्यक्ष संतोष चौरसिया और वरिष्ठ सदस्य एडवोकेट आशीष कुमार मिश्रा ने बताया कि रामलीला के दौरान गीत,नृत्य और प्रहसन होता चला आ रहा है। जानबूझकर धार्मिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में रामलीला का मंचन संभव नहीं है। इस बावत जीयनपुर कोतवाली पुलिस से बात करने पर बताया कि रामलीला समिति द्वारा मंच पर डांस करवाया जा रहा था जिस बावत उन्हें शासन के दिशा निर्देशों से अवगत कराते हुए उन्हें रामलीला के मंच पर डांस करवाने से मना किया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 हजार सिपाहियों को दी बड़ी राहत वेतन वृद्धि, पदोन्नति को लेकर दिया यह आदेश


 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 हजार सिपाहियों को दी बड़ी राहत



वेतन वृद्धि, पदोन्नति को लेकर दिया यह आदेश



उत्तर प्रदेश प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा शासनकाल में 2005-06 बैच की भर्ती में नियुक्ति होने के बाद बसपा शासन में नौकरी से निकाले गए 22 हजार सिपाहियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने इन सिपाहियों को वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें वेतन वृद्धि, पदोन्नति समेत सभी सेवा लाभ देने का आदेश यूपी सरकार को दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 17 फरवरी 2022 में प्रतिपादित व्यवस्था को आधार बनाते हुए पारित किया है। सपा शासनकाल में 22 हजार सिपाहियों को निकाल दिया गया था। यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार ने मथुरा, गौतम बुद्ध नगर, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, जिलों में तैनात हेड कांस्टेबलों तथा कांस्टेबलों द्वारा संयुक्त रूप से अलग-अलग दाखिल विभिन्न याचिकाओं को निस्तारित करते हुए पारित किया है। सिपाही नीरज कुमार पांडेय, रामकुमार, दीपक सिंह पोसवाल, रेखा गौतम, प्रमोद यादव व कई अन्य ने अलग-अलग याचिकाओं में मांग की थी। कहा था कि शासनादेश दिनांक 17 फरवरी 2022 के अनुपालन में 2005 -2006 बैच के आरक्षी सिविल पुलिस,आरक्षी पीएसी, सहायक परिचालक रेडियो विभाग के कांस्टेबलों को वर्ष 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए उन्हें पेंशन, उपादान, वार्षिक वेतन वृद्धि, तथा पदोन्नति का लाभ व एसीपी का लाभ अनुमन्य कराया जाए।


2005-06 में हुई थी सिपाहियों की भर्ती


याची कांस्टेबलों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि सभी याची कांस्टेबलों की भर्ती वर्ष 2005 - 06 में हुई थी। उनकी भर्ती सपा शासनकाल में हुई थी। बसपा शासनकाल आने पर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें सेवा में वर्ष 2009 में बहाल किया गया। कहा गया था कि सभी याची कांस्टेबल वर्ष 2006 से नौकरी में है। इन्हें गलत आधारों पर निकाल दिया गया था। जिस कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2009 में इन्हें बहाल किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने दीपक कुमार के केस में यह आदेश पारित किया है कि वर्ष 2005 - 06 के आरक्षियों की नियुक्तियां उनके नियुक्ति के दिनांक से सेवा में निरंतर माना जाएगा तथा वे सभी कांस्टेबलों सभी प्रकार के सेवा लाभ पाने के अनुमन्य होंगे।


सभी सिपाही दरोगा के पद का वेतनमान पाने के हकदार


कहा गया था कि नियुक्ति के दिनांक से सभी सिपाही 16 वर्ष की सेवा पूर्ण कर द्वितीय प्रमोशनल पे स्केल यानी दरोगा के पद का वेतनमान प्रशिक्षण की अवधि को जोड़ते हुए पाने के हकदार हैं, लेकिन इन्हें अभी तक इसका कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने अपने पारित आदेश में 17 फरवरी 2022 को जारी शासनादेश का उल्लेख करते हुए उक्त निर्देश दिया है तथा कहा है कि कांस्टेबलों की याचिका पर अपर पुलिस महानिदेशक भवन व कल्याण, डीजीपी हेड क्वार्टर उत्तर प्रदेश लखनऊ, सुप्रीम कोर्ट के दीपक कुमार केस में पारित आदेश के क्रम में जारी शासनादेश दिनांक 17 फरवरी 2022 के अनुपालन में याची कांस्टेबलों की सेवा को निरंतर मानते हुए उनके पेंशन, उपादान, वार्षिक वृद्धि, पदोन्नति व एसीपी का लाभ प्रदान करने के संबंध में दो माह के अंदर उचित आदेश पारित करें।