Wednesday, 12 January 2022

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी


 स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी



सुल्तानपुर यूपी सरकार के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने उन्हें 24 जनवरी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा में रहते हुए देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिस पर सुल्तानपुर के एमपी एमएलए कोर्ट ने आदेश जारी किया है। 24 जनवरी को मामले में सुनवाई होगी। 



यह आदेश 2016 में हाईकोर्ट द्वारा जारी किया गया था तब उन्होंने इस पर स्टे ऑर्डर ले लिया था। स्वामी प्रसाद प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री थे। जहां से उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया और 14 जनवरी को वह सपा में शामिल होंगे।

लखनऊ उत्तर प्रदेश भाजपा को दूसरा बड़ा झटका, कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी दिया इस्तीफा



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यूपी में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के 24 घंटे के अंदर ही योगी सरकार के एक और मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।




सरकार में वन, पर्यावरण एवं जन्तु उद्यान मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों के साथ के प्रति उपेक्षात्मक रवैया अपनाया गया है। 



उन्होंने योगी सरकार पर दलितों व पिछड़ों के आरक्षण से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राजभवन भेज दिया है

सपा का साथ या फिर भाजपा में वापसी, जानिए क्या कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने


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लखनऊ उत्तर प्रदेश  शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ठीक सात दिन पहले तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लोकभवन में एक ही मंच पर श्रमिकों के खाते में पैसा ट्रांस्फर करते नज़र आ रहे श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा को छोड़ देंगे।



 सपा में जॉइन करेंगे या फिर भाजपा में होगी वापसी इस बात पर अभी स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपनी रणनीति जाहिर नहीं की है।

उन्होंने कहा कि वे अखिलेश से इस मामले में बात करेंगे। उनके करीबियों और पार्टी के विधायकों की मानें तो वह संगठन में तवज्जो न मिलने के कारण नाराज थे। शायद यही वजह रही कि उन्होंने कहा कि सीएम योगी, पीएम मोदी, अमित शाह व जेपी नड्डा आदि से उन्हें कोई नाराजगी नहीं है। मेरी नाराजगी गलत नीतियों के कारण थी।



दूसरी ओर चर्चा है कि बेटे उत्कृष्ट मौर्य समेत समाज के कुछ लोगों के टिकट की चाह को वाजिब राह न मिलने से भी वह भीतर ही भीतर खिन्न थे। 



वह क्यों नाराज हो गए? उनकी नाराजगी की क्या वजहें थी? इनका खुलासा अब उनके इस्तीफे के बाद धीरे-धीरे होने लगा है। सियासी जानकारों की मानें तो वह संगठन में अहमियत न दिए जाने के कारण तो नाराज थे।

मौर्य बसपा सरकार में मायवती, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा के बाद चौथे नंबर के नेता थे। 



बसपा में वह सहकारिता मंत्री रहे। माना जाता है कि वह श्रम विभाग जैसा महत्वहीन विभाग दिए जाने से खिन्न थे। उन्होंने इस बारे में पार्टी स्तर पर कई बार अपना विरोध भी जताया। हाल में गठित भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया जबकि भाजपा में आए उनसे कई जूनियर नेता इस समिति में शामिल किए गए।



वहीं कुछ दिन पहले पार्टी के लखनऊ में हुए पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में उनकी बेटी को मंच से न बोलने देने पर कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की थी। तब से ही बात साफ हो गई थी कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर चल रही है, जो उनके इस्तीफे के साथ ही साफ हो गई।