Friday 5 April 2024

आजमगढ़ बिना कारण बताए नहीं जमा कराया जा सकेगा असलहा इन बिंदुओं पर स्क्रीनिंग कमेटी करेगी जांच


 आजमगढ़ बिना कारण बताए नहीं जमा कराया जा सकेगा असलहा


इन बिंदुओं पर स्क्रीनिंग कमेटी करेगी जांच



उत्तर प्रदेश आजमगढ़ चुनाव के दौरान असलहा जमा करने के लिए अब पुलिस किसी पर दबाव नहीं बना सकती है। इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार की ओर से शासनादेश जारी किया गया है। अब स्क्रीनिंग कमेटी को असलहा जमा करने का कारण बताना होगा। जिले में कुल 17542 लाइसेंसी असलहा धारक हैं, जिनमें से अब तक पुलिस प्रशासन द्वारा लगभग 6000 से अधिक असलहे जमा कराए जा चुके हैं। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव पुलिस प्रशासन द्वारा लाइसेंस धारियों के असलहों का जमा करने के लिए उनके ऊपर दबाव बनाया जाता है। प्रयागराज हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने किसी के असलहे को दबाव बनाकर जमा कराने पर रोक लगाने का आदेश दिया है।


 इसके बाद अब सरकार की ओर से भी इसके लिए एक शासनादेश जारी किया गया है। जिसके तहत अब किसी का असलहा जमा करने से पहले स्क्रीनिंग कमेटी यह निर्धारित करेगी की अमुक व्यक्ति का असलहा जमा कराया जाना क्यों जरूरी है। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी एक आदेश जारी करेगी जिसके आधार पर अमुक व्यक्ति का असलहा जमा कराया जाएगा। इन मुद्दों पर होगी आदेश: किसी व्यक्ति का अगर आपराधिक इतिहास हो। कोई व्यक्ति यदि किसी तरीके से चुनाव को प्रभावित कर सकता हो। चुनाव के दौरान वह कोई अपराध कारित कर सकता हो। एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि 22 मार्च 2024 को हाईकोर्ट ने असलहा न जमा कराने का एक आदेश जारी किया। जिसके क्रम में शासन की ओर से शासनादेश जारी किया गया है। जिसके अनुसार असलहों को जमा करने का आदेश स्क्रीनिंग कमेटी कुछ बिंदुओं की जांच करने के बाद देगी। जिसके अनुसार असलहों का जमा कराने की कार्रवाई की जा रही है।

आजमगढ़/ जौनपुर भाजपा नेता की कार पलटी, एक की मौत, 4 घायल नील गाय को बचाने के चक्कर में हुआ हादसा


 आजमगढ़/ जौनपुर भाजपा नेता की कार पलटी, एक की मौत, 4 घायल



नील गाय को बचाने के चक्कर में हुआ हादसा



उत्तर प्रदेश आजमगढ़/ जौनपुर जिले के आरा गांव के पाठक पुरवा के पास नील गाय को बचाने के चक्कर में भाजपा नेता की कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खाई में पलट गई। इस हादसे में कार सवार पांच लोग घायल हो गए। इलाज के लिए ले जाते समय चालक की मौत हो गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। अन्य घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


 बरदह क्षेत्र के बर्रा गांव निवासी भाजपा नेता बजरंग बहादुर सिंह शुक्रवार की सुबह कार से परिवार के पांच लोगों के साथ वाराणसी से वापस गांव लौट रहे थे। अभी कार जौनपुर जिले के गौराबादशाहपुर थानांतर्गत आरा गांव के पाठक पुरवा के पास पहुंची थी कि अचानक से कार के सामने नील गाय आ गई। जिसे बचाने के चक्कर में कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे खाई में पलट गई। इस हादसे में कार में सवार बजरंग बहादुर सिंह (60), मुकुल सिंह (19), विशाल सिंह (35), सोनम सिंह (25) व चालक यजुर्वेद सिंह घायल हो गए। स्थानीय लोगों की मदद से सभी घायलों को जौनपुर सदर अस्पताल ले जाया जा रहा था कि चालक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सूचना पर पहुंची गौरा बादशाहपुर थाना पुलिस ने चालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। घटना की सूचना घर पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया। वहीं, भाजपा नेता समेत अन्य घायलों का जौनपुर अस्पताल में इलाज चल रहा है।

आजमगढ़ अहरौला सोशल मीडिया पर दो युवकों का असलहा दिखाते वीडियो वायरल एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने जांच के दिये आदेश


 आजमगढ़ अहरौला सोशल मीडिया पर दो युवकों का असलहा दिखाते वीडियो वायरल


एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने जांच के दिये आदेश




उत्तर प्रदेश आजमगढ़ जनपद में सोशल मीडिया पर दो युवकों का असलहे के साथ प्रदर्शन करते हुए वीडियो वायरल हो गया है। वीडियो की जानकारी होते ही एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने एसओ अहरौला को इसे संज्ञान में लेते हुए जांच का निर्देश दिया है। बताते चलें की सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा असलहों का प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। 


अभी हाल ही में बरदह थाना क्षेत्र की एक युवती का असलहे के साथ रील बनाने का मामला प्रकाश में आया था। जांच में पाया गया कि युवती के हाथ में असलहा नहीं बल्कि लाइटर है। यह मामला तो रफ-दफा हो गया लेकिन शुक्रवार को सोशल मीडिया पर दो युवकों के हाथों में असलहा लेकर प्रदर्शन करने का फोटो वायरल हो गया। यह फोटो अहरौला थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है।


 इसकी जानकारी होने पर एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने एसओ अहरौला को उक्त मामले की जांच सौंप दी। एसपी ग्रामीण ने बताया कि उक्त फोटो अहरौला थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है। इसलिए इसकी जांच एसओ अहरौला को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आजमगढ़ खुद को जिन्दा करने के लिए अधिकारियों का चक्कर लगा रहा ‘मृतक’ पीड़ित वयोवृद्ध ने तहसीलदार को शिकायती पत्र सौंपकर लगाई न्याय की गुहार


 आजमगढ़ खुद को जिन्दा करने के लिए अधिकारियों का चक्कर लगा रहा ‘मृतक’


पीड़ित वयोवृद्ध ने तहसीलदार को शिकायती पत्र सौंपकर लगाई न्याय की गुहार




उत्तर प्रदेश आजमगढ़ भले ही लालबिहारी मृतक के ऊपर फिल्माई गई कागज फिल्म पर्दे पर रिलीज होकर सिनेमा घर से कब का निकल चुकी हो लेकिन आज भी राजस्व विभाग के कारस्तानी का ट्रेलर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। आजमगढ़ के सठियांव के आबाडी गांव निवासी जीवित वयोवृद्ध को कागजी मृतक बताकर उन्हें उनके ही भूमि के मालिकाना हक से वंचित कर दिया गया है। इन आरोपों के बाद राजस्व विभाग की कारस्तानी पर सवालिया निशान उठा है। पीड़ित वयोवृद्ध तहसीलदार से मिलकर अपने जीवित होने का दावा कर रहा है वहीं दस्तावेजों में उसे मृत दर्शाने वाले ’साहेब’ मौन साधे हुए है। तहसीलदार ने मामले को सुनकर जांच का आश्वासन दिया है।


 तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में जनपद के तहसील सदर के आबाडी गांव निवासी वयोवृद्ध रामबचन पुत्र लहजू ने बताया कि उसकी तहसील सदर के अंतर्गत अबाडी व बिहरोजपुर गांव में आराजी नंबर 1281, 1282, 1283, 1285, 1408 भूमि है। पीड़ित का नाम अभिलेखों में दर्ज था लेकिन 04.02.2022 के खतौनी में विवरण अंकित हुआ कि 1429फ आदेशानुसार राजस्व निरीक्षक सठियांव वाद संख्या 20201519100966000771/12.01.2021 को आदेश हुआ कि खाता नंबर 436, 299, 298 से मृतक रामबचन के स्थान पर पुष्पा पत्नी रामबचन व अरविन्द, प्रदीप व सुरेंद्र व देवेंद्र पुत्रगण रामबचन का नाम बतौर वारिश दर्ज हो। पीड़ित का कहना है कि मुझे अभिलेखों में जीवित होते हुए भी मृतक दर्शा दिया गया है। तहसीलदार ने मामले को सुनने के बाद शीध्र ही जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही का आश्वासन दिया है। बताते चले कि इसके पूर्व में लालबिहारी मृतक सहित कईयों के साथ ऐसा ही मामला सामने आ चुका है, पूरे प्रकरण में कागज नाम की फिल्म भी बन चुकी है। इसके बावजूद राजस्व विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा हैं। अब देखना है कि वयोवृद्ध को कब तक न्याय मिल पाता है। इस मामले की चर्चा जोरों पर है।

उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों से टल गया संकट सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक


 उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों से टल गया संकट


सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक




लखनऊ उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन ऐक्ट को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने मदरसा संचालकों की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा ऐक्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह असंवैधानिक है और सेकुलरिज्म के खिलाफ है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


 मिली जानकारी के मुताबिक जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी इस बेंच में शामिल थे। बेंच ने कहा, मदरसा बोर्ड का उद्देश्य नियामक है। इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह कहना पहली नजर में ठीक नहीं है कि मदरसा एजुकेशन बोर्ड का गठन करना सेकुलरिज्म के खिलाफ है। बता दें कि बीते सप्ताह ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वह मदरसे के छात्रों को आम स्कूलों में ट्रांसफर करे और उनका नामांकन कराए।


 इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा था कि सरकार के पास यह पावर नहीं है कि वह धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड का गठन करे। इसके अलावा सरकार स्कूली शिक्षा के लिए किसी ऐसे बोर्ड का भी गठन नहीं कर सकती, जिसके तहत किसी खास मजहब और उसके मूल्यों की ही शिक्षा दी जाती हो। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे पहले 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। इसके बाद यूपी में संचालित किए जा रहे करीब 16 हजार मदरसों की मान्यता को योगी सरकार ने खत्म कर दिया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा संचालकों को बड़ी राहत दी है। बता दें कि मदरसों की फंडिंग का सवाल भी समय-समय पर उठता रहा है।