जनता ने उपवास रखकर मुलायम सिंह को बनाया था पहली बार विधायक
उत्तर प्रदेश लखनऊ राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के बाद इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। देश में समाजवाद की लहर थी। 60 के उस दशक में राम मनोहर लोहिया समाजवादी आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे।
उस दौर में देशभर की तरह उत्तर प्रदेश के इटावा में भी समाजवादियों की रैलियां होती थीं और इन रैलियों में नेताजी जरूर शामिल होते थे। समाजवादी विचारधारा उन्हें रमने लगती थी। अब वे अखाड़े के साथ-साथ रैलियों में पाये जाते थे। समय बीतता गया और नेताजी समाजवाद के रंग में रंगते गये। कुछ साल बाद नेताजी को विधायकी लड़ने के लिए टिकट तो मिला, लेकिन प्रचार करने के लिए उनके पास साइकिल के अलावा कुछ भी नहीं था लेकिन गांव के लोग उन्हें इतना मानते थे कि उन्होंने उपवास रखना शुरू कर दिया। उससे जो अनाज बचता, उसे बेचकर गाड़ी के लिए ईंधन की व्यवस्था होती। नेताजी ने उन्हें निराश नहीं किया। उन्होंने न सिर्फ विधायकी का चुनाव जीता, देश के सबसे बड़े सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री बने, साथ ही देश के रक्षा मंत्री भी बने। अखिलेश यादव के हाथों पूरी तरह समाजवादी पार्टी की कमान सौंपने के बाद से मुलायम सिंह यादव राजनीति में निष्क्रिय हो गए है लेकिन अपनी जवानी में कम उम्र में ही राजनीति में उन्होंने अपने दम पर जो हासिल किया वो शायद ही कोई नेता कर पाए।
बता दें कि मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ। मुलायम सिंह यादव अपने पांच भाई-बहनों में रतन सिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।
पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के बाद उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवंत नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के बाद इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।