Thursday, 16 October 2025

आजमगढ़ फूलपुर नदी में मिला प्रतिबंधित पशुओं का 4 सिर, बिना टायर की बाइक भी बरामद सीमा विवाद में उलझी पुलिस, अधिकारी सहित लेखपाल मौके पर पहुंचे


 आजमगढ़ फूलपुर नदी में मिला प्रतिबंधित पशुओं का 4 सिर, बिना टायर की बाइक भी बरामद



सीमा विवाद में उलझी पुलिस, अधिकारी सहित लेखपाल मौके पर पहुंचे



उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के फूलपुर कोतवाली क्षेत्र के लोनियाडीह पुल के पास ओंगरी नदी में प्रतिबंधित पशुओं के 4 सिर मिलने से सनसनी फैल गयी। सूचना मिलते ही फूलपुर और अहरौला पुलिस मौके पर पहुँच गयी। मामला दोनों थानों की सीमा के पास का होने के चलते सीमा निस्तारण के लिए राजस्व टीम से पैमाइश करानी पड़ी। पैमाइस के बाद प्रतिबंधित पशुओं के अवशेष फूलपुर पुलिस को सौंपा गया।



जिस स्थान पर प्रतिबंधित पशुओं के सिर मिले थे वह स्थान अहरौला और फूलपुर क्षेत्र की सीमा के पास है। प्रतिबंधित पशुओं का सिर नदी में मिलने की सूचना पर सीओ फूलपुर किरन पाल सिंह, कोतवाली प्रभारी सच्चिदानंद, सीओ बूढ़नपुर अजय प्रताप सिंह, एसओ अहरौला प्रदीप कुमार सहित भारी संख्या में पुलिस घटना स्थल पर पहुँच गयी। इसके बाद एसडीएम फूलपुर अशोक कुमार भी मौके पर पहुँच गए। ग्रामीणों की मदद से जेसीबी लगाकर प्रतिबंधित पशुओं के चारों सिर सहित अवशेष नदी से बाहर निकाले गए। एसडीएम और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में अवशेष को डिस्पोज किया गया। नदी से बिना पहिया की एक बाइक भी मिली है। वहीं पशु डॉक्टरों ने सिर का अवशेष लेकर परीक्षण के लिए भेज दिया।


घटना की सूचना क्षेत्र में आग की तरह से फैल गयी। भारी संख्या में क्षेत्रीय लोग भी मौके पर पहुँच गए। सीओ फूलपुर किरन पाल सिंह ने कोतवाली फूलपुर को आवश्यक कार्यवाही का निर्देश दिया। इस दौरान राजस्व निरीक्षक द्वारा बताया गया कि यह क्षेत्र अहरौला थाना में पड़ता है। इसके बाद एसडीएम फूलपुर अशोक कुमार के आदेश पर पैमाइश कराई गई। पैमाइश के बाद यह निर्धारित हुआ कि यह क्षेत्र फूलपुर थाने का है। इसके बाद बाद फूलपुर पुलिस आवश्यक कार्यवाही में जुट गई है। इस संबंध में सीओ फूलपुर किरन पाल सिंह का कहना है कि प्रतिबंधित पशु के मिले अवशेष काफी दिनों का है। पशु डॉक्टर की टीम के द्वारा अवशेष को परीक्षण के लिए भेजा गया है। विवेचना फूलपुर पुलिस कर रही है।

आजमगढ़ 2 पुलिसकर्मियों पर गिरी एसपी की गाज, लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबन पुलिस की छवि धूमिल करने, पासपोर्ट सत्यापन में रिश्वत मांगने पर हुई कार्रवाई


 आजमगढ़ 2 पुलिसकर्मियों पर गिरी एसपी की गाज, लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबन


पुलिस की छवि धूमिल करने, पासपोर्ट सत्यापन में रिश्वत मांगने पर हुई कार्रवाई



उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. अनिल कुमार ने पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने वाले दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की है। थाना निजामाबाद में तैनात आरक्षी सुमित सिंह और थाना कोतवाली में नियुक्त कांस्टेबल पिन्टू कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। दोनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।


थाना निजामाबाद में तैनात आरक्षी सुमित सिंह को अपने पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही, उदासीनता, स्वेच्छाचारिता और अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित किया गया है। एसएसपी डॉ. अनिल कुमार ने प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की। साथ ही, सभी पुलिस कर्मियों को चेतावनी दी गई कि वे अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करें, अन्यथा कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।


वहीं बुधवार को थाना कोतवाली में नियुक्त कांस्टेबल पिन्टू कुमार द्वारा पासपोर्ट सत्यापन के कार्य में रुपये मांगने का मामला सामने आया। इस घटना को पुलिस की छवि को धूमिल करने वाला मानते हुए एसएसपी ने तत्काल प्रभाव से पिन्टू कुमार को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू की गई है। आजमगढ़ पुलिस के सोशल मीडिया सेल ने इसकी जानकारी सार्वजनिक की।

आजमगढ़ निजामाबाद तबादले से पहले यह महत्वपूर्ण काम कर गये एसडीएम सुनील कुमार धनवन्ता आगे भी अपनी कार्यशैली को बनाये रखने की कही बात


 आजमगढ़ निजामाबाद तबादले से पहले यह महत्वपूर्ण काम कर गये एसडीएम सुनील कुमार धनवन्ता



आगे भी अपनी कार्यशैली को बनाये रखने की कही बात



उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार द्वारा जहां उपजिलाधिकारी निजामाबाद सुनील कुमार धनवन्ता का तबादला कर दिया गया, वहीं एसडीएम निजामाबाद रहते हुए सुनील कुमार धनवन्ता ने अपनी कार्यशैली से एक अमिट छाप भी छोड़ दी।


बताते चलें कि निजामाबाद तहसील के ग्राम गौसपुर में शासकीय अभिलेखों में फर्जी तरीके से दर्ज किए गए नामों को निरस्त कर पूर्ववत स्थिति बहाल करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/उप जिलाधिकारी, निजामाबाद, सुनील कुमार धनवंता ने इस मामले में कठोर कार्रवाई करते हुए आदेश पारित किया। इस आदेश के तहत गाटा संख्या 354 के सभी संघटक नंबरों पर दर्ज खातेदारों के नाम हटाए गए और भूमि को भीटा खाते में पुन: दर्ज करने का निर्देश दिया गया। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा-38 (1) के तहत की गई है।


ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/उप जिलाधिकारी, निजामाबाद, सुनील कुमार धनवंता ने बताया कि ग्राम गौसपुर, परगना व तहसील निजामाबाद में गाटा संख्या 354 के सभी संघटक नंबरों पर फर्जी तरीके से अभिलेखों में नाम दर्ज किए गए थे। वाद में सुनवाई के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह भूमि भीटा खाते की है। इसके आधार पर पारित आदेश में सभी फर्जी रूप से दर्ज खातेदारों के नाम निरस्त कर दिए गए। आदेश के अनुसार, गाटा संख्या 354क (रकबा 0.015 एकड़/0.0060 हेक्टेयर) को भीटा खाते में और गाटा संख्या 354ख (रकबा 1.295 एकड़/0.5244 हेक्टेयर) को पेड़ लगाने हेतु खाते में दर्ज करने का निर्देश दिया गया। यह कार्रवाई आकार पत्र 41 व 45 के अनुसार की गई, जिससे भूमि की मूल स्थिति को बहाल किया जा सका। इस कदम से न केवल शासकीय अभिलेखों की शुद्धता सुनिश्चित हुई, बल्कि अवैध कब्जे को रोकने में भी मदद मिलेगी।


एसडीएम सुनील कुमार धनवंता ने स्पष्ट किया कि निजामाबाद तहसील में सुरक्षित श्रेणी की भूमियों पर अवैध कब्जे के खिलाफ कठोर कार्रवाई का सिलसिला जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में दिए गए निदेर्शों और चेतावनियों के अनुरूप ऐसी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। प्रशासन का यह प्रयास है कि शासकीय भूमि का दुरुपयोग रोका जाए और अभिलेखों में पारदर्शिता बनाए रखी जाए। उन्होंने आगे बताया कि इस तरह की कार्रवाइयां भविष्य में भी नियमित रूप से की जाएंगी ताकि अवैध कब्जेदारों को सबक सिखाया जा सके।




आजमगढ़ एसडीएम निजामाबाद सुनील कुमार धनवंता सहित 3 का हुआ तबादला मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देश पर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने की कारवाई


 आजमगढ़ एसडीएम निजामाबाद सुनील कुमार धनवंता सहित 3 का हुआ तबादला



मुख्य निर्वाचन अधिकारी के निर्देश पर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने की कारवाई


उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के पत्र के आधार पर जनहित और शासकीय कार्यहित में विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों/उप जिलाधिकारियों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन किया है। यह निर्णय भारत निर्वाचन आयोग के अनुमोदन के बाद अपरिहार्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।


आदेश के अनुसार, निम्नलिखित परिवर्तन किए गए हैं:

 1. सुनील कुमार धनवंता, उपजिलाधिकारी निजामाबाद/उपजिलाधिकारी (न्यायिक) निजामाबाद/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, 348-निजामाबाद, को अब उप जिलाधिकारी (न्यायिक) मार्टिनगंज नियुक्त किया गया है।

 2. चन्द्र प्रकाश सिंह, उपजिलाधिकारी (न्यायिक) सगड़ी/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, 344-गोपालपुर, को उपजिलाधिकारी निजामाबाद/निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, 348-निजामाबाद के पद पर स्थानांतरित किया गया है।

 3. संत रंजन, उप जिलाधिकारी (न्यायिक) मार्टिनगंज/उपजिलाधिकारी (न्यायिक) बूढ़नपुर/अतिरिक्त अधिकारी (प्रथम), को उपजिलाधिकारी (न्यायिक) सगड़ी/आजमगढ़ नियुक्त किया गया है।



अलीगढ़ 2 रिटायर इंस्पेक्टर समेत 7 को 20-20 साल की सजा दलित लड़की से गैंगरेप मामले में 23 साल बाद आया फैसला


 अलीगढ़ 2 रिटायर इंस्पेक्टर समेत 7 को 20-20 साल की सजा


दलित लड़की से गैंगरेप मामले में 23 साल बाद आया फैसला



उत्तर प्रदेश, अलीगढ़ खैर थाना क्षेत्र में 2002 में हुए किशोरी के अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म के बहुचर्चित मामले में 23 साल बाद बुधवार को न्यायालय ने फैसला सुना दिया। एडीजे फास्ट ट्रैक प्रथम अंजू राजपूत की अदालत ने सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 20-20 साल की सजा और जुर्माना सुनाया। दोषियों में दो सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर भी शामिल हैं, जिनमें से एक मामले का प्रथम विवेचक था।


मामला 30 अक्टूबर 2002 का है, जब खैर क्षेत्र के एक गांव निवासी ने अपनी 17 वर्षीय बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज की थी। पिता ने गांव के साहब सिंह, रामेश्वर और प्रकाश पर अपहरण और हत्या की नीयत का आरोप लगाया था। पुलिस ने 26 दिसंबर 2002 को टप्पल के हामिदपुर के पास से किशोरी को बरामद किया और दो आरोपियों, बौना और पप्पू उर्फ बिजेंद्र, को गिरफ्तार किया। हालांकि, शुरुआती चार्जशीट में तीन नामजद आरोपियों के नाम हटा दिए गए।


हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीसीआईडी ने जांच शुरू की और तीन चरणों में नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इनमें रामेश्वर, प्रकाश, खेमचंद्र, बसपा नेता राकेश मौर्या, साहब सिंह, जयप्रकाश, सेवानिवृत्त एसएचओ रामलाल वर्मा, उनका बेटा बौबी और प्रथम विवेचक पूर्व एसएचओ पुत्तूलाल प्रभाकर शामिल थे।


सत्र परीक्षण के दौरान साहब सिंह की मृत्यु हो गई, जबकि राकेश मौर्या का नाम कोर्ट के निर्देश पर मुकदमे से हटा दिया गया। साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर अदालत ने रामेश्वर, प्रकाश, खेमचंद्र, जयप्रकाश, रामलाल वर्मा, बौबी और पुत्तूलाल प्रभाकर को दोषी ठहराया। रामेश्वर, प्रकाश और रामलाल पर 60-60 हजार रुपये, जबकि अन्य पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माने की 75% राशि पीड़िता को दी जाएगी।


एडीजीसी हर्षवर्द्धन सिंह ने बताया कि मुल्जिमों ने किशोरी के साथ दुराचार किया था। वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेंद्र सिंह तोमर ने मजबूती से पैरवी की। राकेश मौर्या के खिलाफ शासन की अनुमति के बाद मुकदमा चलाने की तैयारी है। सभी दोषियों को जेल भेज दिया गया है। यह फैसला पीड़िता और समाज के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।