आजमगढ़ कंधरापुर परिवहन मंत्री ने 12 लक्जरी बसों को पकड़ कराया सीज
खुली आरटीओ विभाग और नीजी बस संचालकों के गठजोड़ की पोल
उत्तर प्रदेश आजमगढ़ ,उन्नाव जिले में लखनऊ -आगरा हाइवे पर हुई दुर्घटना में डेढ़ दर्जन यात्रियों की मौत से आहत सूबे के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने अपने विभाग एवं नीजी लक्जरी बस संचालकों के गठजोड़ को नंगी आंखों से देखा। गुरुवार को बलिया से लखनऊ जा रहा परिवहन मंत्री का काफिला शहर से सटे देवखरी ग्रामसभा में एक स्थान पर खड़ी लक्जरी बसों का बेड़ा देख रुका और मंत्री दयाशंकर सिंह अपने वाहन से उतर गए।
दिल्ली से सवारी लेकर आजमगढ़ जनपद मुख्यालय आए एसी बसों के चालक और सहयोगी जब तक कुछ समझ पाते परिवहन मंत्री ने आजमगढ़ आरटीओ एवं आजमगढ़ एसपी हेमराज मिना को फोन कर सुरक्षित स्थान पर खड़ी बसों को पकड़ने का फरमान सुनाया। इसके बाद सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे आरटीओ के साथ ही थाना प्रभारी कंधरापुर व यातायात पुलिस प्रभारी हांफते हुए मौके पर पहुंच गए। अचानक रुके मंत्री के काफिले और पुलिस की मौजूदगी देख वहां तमाशबीनों की भीड़ जमा हो गई। मंत्री ने अपने काफिले में शामिल लोगों को पकड़ी गई 12 लक्जरी बसों पर बैठा कर सभी को संबंधित थाने पर भेजवाया। साथ ही उन्होंने वहां मौजूद आरटीओ एवं कंधरापुर थाना प्रभारी सुदेश कुमार सिंह को इस मामले में सख्त कार्रवाई कर तत्काल रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया। इसके बाद परिवहन मंत्री का काफिला अपने गंतव्य की ओर बढ़ गया।
बताते चलें कि कोरोना काल के समय ट्रेनों का संचालन बंद होने का लाभ उठाते हुए तमाम नीजी बस आपरेटर दिल्ली से पूर्वांचल के सभी जिलों से यात्रियों को ढोने के लिए लक्जरी एसी बसों का संचालन शुरू कर दिए और इसमें आरटीओ, पुलिस तथा दिल्ली के रास्ते पड़ने वाले जिलों में सक्रिय बड़े अपराधियों को सुगम आवागमन के लिए अपने धंधे में शामिल कर लिए। सभी को पूरी इमानदारी के साथ प्रतिमाह सुविधा शुल्क भी मुहैया कराया जाता है। नतीजा कि आरटीओ, पुलिस और माफियाओं के गठजोड़ से यह धंधा लंबे समय से फल-फूल रहा है। गुरुवार को दिन में परिवहन मंत्री द्वारा की गई इस कार्रवाई से नीजी बस आपरेटरों में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं इस कार्रवाई के प्रत्यक्षदर्शी रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोई बड़ी घटना हो जाती है तो अचानक शासन और प्रशासन की नींद खुलती है जिसका नतीजा है कि गुरुवार को मंत्री ने खुद परिवहन विभाग को पलीता लगाने वालों की संलिप्तता को खुद अपनी आंखों से देखा और महसूस किया है। अब देखना यह है कि क्या इस कार्रवाई से बिना परमिट एवं फिटनेस के चल रहे नीजी बस संचालन पर कब तक अंकुश लगा रहेगा।
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