Wednesday, 4 June 2025

आजमगढ़ बिजली निजीकरण के खिलाफ किसान संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा ज्ञापन


 आजमगढ़ बिजली निजीकरण के खिलाफ किसान संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन



जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा ज्ञापन



उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ क्रांतिकारी किसान यूनियन, किसान संग्राम समिति, संयुक्त किसान-खेत मजदूर संघ, अ.भा.किसान महासभा, खेत-मजदूर किसान संग्राम समिति, जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा आदि किसान संगठनों द्वारा बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। विरोध प्रदर्शन में किसानों ने बिजली बांध हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगें ! ये खंभे तार हमारे हैं, हम इन्हें नहीं बिकने देंगें। सस्ती बिजली, सस्ता पानी। इससे जुड़ी है मजदूर-किसानी। बिजली के निजीकरण का फैसला वापस लो ! आदि नारे लगाए। किसान संगठनों ने अमर शहीद कुंवर सिंह उद्यान में हुई बैठक में कहा कि उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा बिजली के निजीकरण का फैसला किसान ही नहीं तमाम मेहनतकश जनता के खिलाफ है।


 खुद बिजली कर्मचारी लम्बे समय से इसके खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं लेकिन आम उपभोक्ता, मजदूर किसान, कर्मचारी किसी की बात सुनने के बजाय प्रदेश की योगी सरकार तानाशाह की तरह विरोध की हर आवाज को खामोश करने पर आमादा है। अपने पूंजीपति मित्रों के मुनाफे के लिए मोदी सरकार ने 2020 तक बिजली कानून में तीन बार संशोधन किये थे। दिल्ली की सीमाओं पर चले ऐतिहासिक किसान आन्दोलन ने इन संशोधनों को रद्द करने की माँग की थी और 13 महीनों के बाद मोदी सरकार ने किसान संगठनों से वादा किया था कि किसानों से मशविरा किये बगैर बिजली कानून में कोई संशोधन नहीं करेगी। लेकिन झूठे की जबान कौन पकड़े, सरकार अपने वादे से मुकर गयी और 2022 में कानून में बदलाव करके राज्य सरकारों को बिजली के पूरे निजीकरण का निर्देश दे दिया है।


पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि आज तक देश में जहां कहीं भी बिजली का निजीकरण हुआ है जनपक्षीय नहीं रहा है। इससे बिजली बेहद महंगी हुई और बिजली का बेशकीमती सार्वजनिक व सरकारी ढाँचा निजी कम्पनियों के कब्जे में चला गया। आज जहां करीब 1रुपए से 4.46 रुपये प्रति यूनिट सरकारी बिजली उपभोक्ताओं को मिलती हैं वहीं जिन राज्यों में बिजली निजी कम्पनियों के हाथों में है वहाँ इसकी दर 17 रुपए प्रति यूनिट तक है। बिजली के निजीकरण से सरकारों को भी हमेशा घाटा ही हुआ है। उत्तर-प्रदेश में ही 2009 में आगरा की बिजली टोरेंट कम्पनी को दे दी गयी थी तो उसने सरकार से सस्ती बिजली लेकर उपभोक्ताओं को महंगी बेचकर भारी मुनाफा कमाया और सरकार को आठ सालों में ही अनुमानत: 4 हजार करोड़ तक का घाटा हुआ।


 वर्ष 1996 में बनी अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार ने अमरीकी कम्पनी एनरॉन के साथ समझौता करके बिजली के निजीकरण की शुरूआत की थी। समझौते की शर्ते ऐसी थी कि एनरॉन से बिजली खरीदे बिना ही महाराष्ट्र सरकार को उसे हजारों करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा था। आज उत्तर प्रदेश में भी बिजली निगमों को बिजली खरीदे बिना ही 6761 करोड़ रुपया हर साल निजी बिजली कम्पनियों को देना पड़ता है। सरकार अपने मित्र पूंजीपतियों के जनविरोधी क्रूर मुनाफे के खेल को पिच देने के लिए सरकारी व सार्वजनिक बिजली उपक्रमों की क्षमता घटाने या बंद करके ध्वस्त होने और निजी उपक्रमों को बढ़ावा देने की नीतियां बना रहीं हैं।सरकारों ने लगातार निजी बिजली कम्पनियों के पक्ष में नीतियों बनाकर सरकारी व सार्वजनिक बिजली निगमों को संकट में फंसाया है ताकि संकट के बहाने निजीकरण करने में आसानी हो।


किसान संगठनों ने अपने ज्ञापन में 7 सूत्री मांग रखी हैं। 1.उत्तर प्रदेश में दक्षिणांचल और पूर्वाचल वितरण निगमों के निजीकरण पर पूर्ण रोक लगे। 2. सभी ग्रामीण उपभोक्ताओं को हर महीना 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाए। योगी सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करे और ट्यूबवेलों को मुफ्त बिजली दे। 3. स्मार्ट मीटर योजना रद्द की जाए। 4. किसानों के ट्यूबवेलों को 18 घंटे बिना शर्त बिजली की आपूर्ति की जाए। 5.कनेक्शन चार्ज, लाइन, ट्रांसफार्मर, बिलिंग मीटर, कनेक्शन काटने व जोड़ने, तमाम अधिभार आदि उपभोक्ताओं से वसूलना बन्द किया जाए। 6. निजी कम्पनियों से महंगी बिजली खरीदना बंद किया जाए। 7. बिजली विभाग में कर्मचारियों पर थोपी गयी श्रमिक विरोधी नयी सेवा नियमावली वापस लिया जाए। सभी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाय। 


बैठक को रामनयन यादव, रामराज, राजेश आजाद, दुखहरन सत्यार्थी, कामरेड नंदलाल, रामकुमार यादव, विनोद सिंह, रामचंद्र, रामाश्रय यादव, हरिहर, विनय कुमार उपाध्याय, लालजी, बैरागी, श्रेय यादव, सूबेदार यादव, निर्मल प्रधान, लक्ष्मी आदि ने संबोधित किया। बैठक का संचालन राजेश आजाद और अध्यक्षता विनय कुमार उपाध्याय ने किया।

आजमगढ़ अतरौलिया पशु क्रूरता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, डीसीएम वाहन में 18 पशुओं के साथ 3 अभियुक्त गिरफ्तार पुल के पास पुलिस ने की चेकिंग, क्रूरता से बंधे पाए गए पशु अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास, के जांच में जुटी पुलिस


 आजमगढ़ अतरौलिया पशु क्रूरता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, डीसीएम वाहन में 18 पशुओं के साथ 3 अभियुक्त गिरफ्तार



पुल के पास पुलिस ने की चेकिंग, क्रूरता से बंधे पाए गए पशु



अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास, के जांच में जुटी पुलिस


उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के थाना अतरौलिया पुलिस ने पशु क्रूरता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 03 जून को केशवपुर पुल के पास एक डीसीएम वाहन को रोका। चेकिंग के दौरान वाहन में 18 भैंस और पड़िया पाए गए, जिनके पैर और मुंह रस्सी से क्रूरता पूर्वक बंधे थे। पुलिस ने वाहन और पशुओं को कब्जे में लेकर तीन अभियुक्तों—राकेश यादव (45) पुत्र स्व0 महादेव ग्राम शाहजहाँपुर थाना रानो पाली जनपद अयोध्या , ताजुद्दीन (50) पुत्र नबी ग्राम नगरोपार थाना मोहम्मदाबाद गोहना जनपद मऊ, और टिन्कू अहमद (40) पुत्र कमर ग्राम  नगरोपार थाना मोहम्मदाबाद गोहना जनपद मऊ को गिरफ्तार किया। मामला पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 के तहत दर्ज किया गया है।


 थाना अतरौलिया में मुकदमा अपराध संख्या 187/2025 दर्ज किया गया है, जिसकी विवेचना उपनिरीक्षक रमेश सिंह द्वारा की जा रही हैं। बरामदगी में डीसीएम वाहन जिसका नम्बर UP42BT5162 हैं , 2 भैंस, और 16 पड़िया शामिल हैं। पुलिस मामले की गहन जांच में जुटी है।

आगरा जहां आनी थी बरात, वहां पहुंची 6 लड़कियों की लाश दर्दनाक हादसे ने सबको झकझोरा, हर तरफ मातम ही मातम


 आगरा जहां आनी थी बरात, वहां पहुंची 6 लड़कियों की लाश



दर्दनाक हादसे ने सबको झकझोरा, हर तरफ मातम ही मातम



उत्तर प्रदेश, आगरा मंगलवार को आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के नगला नाथू गांव में यमुना नदी में नहाने गई छ: किशोरियों की डूबने से दुखद मृत्यु हो गई। इस हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। मृतक लड़कियों में तीन सगी बहनें शामिल थीं, और एक परिवार में इस घटना ने शादी की तैयारियों को मातम में बदल दिया। 


मिली जानकारी के अनुसार नगला नाथू निवासी सुरेश चंद्र की तीन बेटियां—मुस्कान (18), दिव्या (15), और संध्या उर्फ कंचन (12)—अपनी चचेरी बहन नैना (14), नगला रामबल की शिवानी (17), और टेढ़ी बगिया की सोनम (12) के साथ सुबह करीब 10:30 बजे यमुना नदी में नहाने गई थीं। शिवानी रिश्ते में मुस्कान की मौसी थी। नहाने के दौरान मुस्कान और शिवानी गहरे पानी में चली गईं और डूबने लगीं। अन्य किशोरियां और उनका चचेरा भाई दीपेश उन्हें बचाने की कोशिश में गहरे पानी में चले गए, जिससे सभी छह किशोरियां डूब गईं।



दीपेश ने शोर मचाया, जिसके बाद खेतों में काम कर रहे ग्रामीण मौके पर पहुंचे। कुछ तैराक युवकों ने आधे घंटे की मशक्कत के बाद सभी को नदी से निकाला। सिकंदरा पुलिस ने चार किशोरियों—मुस्कान, दिव्या, संध्या, और नैना—को एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंचाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। शिवानी और सोनम, जिनकी सांसें चल रही थीं, को निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दो घंटे बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा इस हादसे ने सुरेश चंद्र के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। मुस्कान की शादी देवोत्थान के मौके पर 1 नवंबर 2025 को तय थी, और परिवार तैयारियों में जुटा था। मुस्कान का रिश्ता सिकंदरा के गांव महल में तय हुआ था। परिवार रात को आनलाइन कपड़ों की खरीदारी में व्यस्त था। मां कांता सुबह सत्संग में गई थीं, और पिता सुरेश मजदूरी करने गए थे। बेटियों की मौत की खबर सुनकर सुरेश नंगे पैर घर की ओर दौड़े। परिवार का कहना था, "बेटी के हाथ पीले करने का सपना अधूरा रह गया।



हादसे से एक दिन पहले, सोमवार को मुस्कान, शिवानी और अन्य ने यमुना नदी में रील्स बनाई थीं। दीपेश के अनुसार, बहनें अक्सर नदी में वीडियो बनाने जाती थीं। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वे नदी में सेल्फी लेती और रील बनाती दिख रही थीं। यह स्पष्ट नहीं है कि मंगलवार को हादसे से पहले भी रील बनाई गई थी या नहीं।



घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री सचिवालय से संपर्क शुरू हुआ। डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी, नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल, अपर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह, और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। परिजन शुरू में पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन नगरायुक्त ने उन्हें मुआवजे की प्रक्रिया के लिए समझाया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की और घटना पर दुख व्यक्त किया।