Friday, 13 June 2025

आजमगढ़ मुबारकपुर नौकरी के नाम पर 13 लाख रुपये की ठगी फर्जी नियुक्ति पत्र भेजकर धोखा देने का आरोप, आरोपी गिरफ्तार


 आजमगढ़ मुबारकपुर नौकरी के नाम पर 13 लाख रुपये की ठगी



फर्जी नियुक्ति पत्र भेजकर धोखा देने का आरोप, आरोपी गिरफ्तार



उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के थाना मुबारकपुर पुलिस ने नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले एक वांछित अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्त की पहचान अंकित प्रजापति (27 वर्ष), पुत्र स्व. रघुवंश, निवासी धर्मपुर (असलपुर), थाना जहानागंज, आजमगढ़, हाल पता बड़ा पोखरा (सलहाबाद मोड़), थाना कोतवाली, मऊ के रूप में हुई है।


राधेश्याम प्रजापति, निवासी अमिलो, थाना मुबारकपुर ने 12 जून को शिकायत दर्ज कराई थी कि अंकित प्रजापति ने नौकरी दिलाने के बहाने उनसे 11-12 दिसंबर 2023 व अन्य तिथियों पर 7.5 लाख रुपये बैंक खाते में और 5.5 लाख रुपये नकद, कुल 13 लाख रुपये लिए। अभियुक्त ने फर्जी नियुक्ति पत्र भेजकर धोखा दिया और रुपये वापस मांगने पर गाली-गलौज व जान से मारने की धमकी दी। इस आधार पर थाना मुबारकपुर में मुकदमा अपराध संख्या 246/2025 अंतर्गत धारा 419,420,467,468,406,504,506, भा0द0स0 दर्ज किया गया, जिसकी विवेचना वरिष्ठ उपनिरीक्षक सुरेश सिंह यादव कर रहे हैं। गुरूवार को वरिष्ठ उपनिरीक्षक सुरेश सिंह यादव अपनी टीम के साथ वादी की सूचना पर अंकित प्रजापति को कौड़िया मोड़ से शाम 7:05 बजे हिरासत में लिया गया।

आजमगढ़ फूलपुर माफिया रमाकांत यादव की 23 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क शराब हत्या कांड के मास्टर माइंड रमाकांत यादव के खिलाफ बड़ी कार्रवाई गैंगेस्टर एक्ट के तहत कुर्क हुई माफिया की अवैध जमीन, पुलिस का अभियान जारी


 आजमगढ़ फूलपुर माफिया रमाकांत यादव की 23 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क



शराब हत्या कांड के मास्टर माइंड रमाकांत यादव के खिलाफ बड़ी कार्रवाई


गैंगेस्टर एक्ट के तहत कुर्क हुई माफिया की अवैध जमीन, पुलिस का अभियान जारी


उत्तर प्रदेश, आजमगढ़ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना के निर्देशन में आजमगढ़ पुलिस ने अपराध और अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत बड़ी कार्रवाई की। थाना अहरौला क्षेत्र के कस्बा माहुल में शराब हत्या कांड और प्रदेश स्तर पर चिह्नित माफिया हिस्ट्रीशीटर 30-ए एवं IS-133 गैंग के लीडर रमाकांत यादव की अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को कुर्क किया गया। इस संपत्ति की अनुमानित कीमत 23 करोड़ 42 लाख 81 हजार 400 रुपये है।


पुलिस के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट आजमगढ़ रविंद्र कुमार के आदेश पर 11 जून 2025 को उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम-1986 की धारा 14(1) के तहत यह कार्रवाई की गई। कुर्क की गई संपत्ति में ग्राम बसही असरफपुर, परगना माहुल, तहसील फूलपुर में स्थित विभिन्न गाटा संख्याओं की भूमि शामिल है, जिनका कुल मूल्य निम्नलिखित है: गाटा संख्या 945: 2,13,56,400 रुपये, गाटा संख्या 959: 2,59,700 रुपये, गाटा संख्या 963: 2,54,93,000 रुपये, गाटा संख्या 967: 2,17,85,600 रुपये, गाटा संख्या 981 (कमर्शियल): 16,33,25,000 रुपये, गाटा संख्या 942: 20,61,700 रुपये है।


रमाकांत यादव, जो वर्तमान में केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में निरुद्ध है, पर 21 फरवरी 2022 को थाना अहरौला में मुकदमा संख्या 39/2022 दर्ज किया गया था। यह मामला अवैध अपमिश्रित शराब के सेवन से 7 लोगों की मृत्यु और कई लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने से संबंधित है। इस मामले में रमाकांत यादव सहित 13 अभियुक्तों के नाम सामने आए। इसके अतिरिक्त, रमाकांत यादव के खिलाफ विभिन्न जनपदों में 58 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, लूट, अपहरण और अपमिश्रित शराब का व्यापार जैसे जघन्य अपराध शामिल हैं।


रमाकांत यादव, जो 1977 से आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त है, थाना दीदारगंज का A-श्रेणी का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ आजमगढ़, जौनपुर, वाराणसी, लखनऊ और अन्य जनपदों में हत्या, लूट, अपहरण, और गैंगेस्टर एक्ट जैसे गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं। उसने आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन से अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर भारी मात्रा में अचल संपत्ति अर्जित की।


इस कार्रवाई में अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण चिराग जैन, तहसीलदार फूलपुर कमल कुमार सिंह, थानाध्यक्ष अतरौलिया अमित कुमार मिश्रा, थानाध्यक्ष अहरौला प्रदीप कुमार, थानाध्यक्ष फूलपुर सच्चिदानंद यादव, और अन्य पुलिस व राजस्व अधिकारियों की टीम शामिल थी।


वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने कहा कि अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ ऐसी कार्रवाइयां जारी रहेंगी। यह कार्रवाई अपराध पर अंकुश लगाने और समाज में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

आजमगढ़ जहानागंज मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक को पुलिस ने चोरी के आरोप में भेजा जेल परिजनों ने लगाया गलत कार्रवाई का आरोप


 आजमगढ़ जहानागंज मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक को पुलिस ने चोरी के आरोप में भेजा जेल



परिजनों ने लगाया गलत कार्रवाई का आरोप



उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद आजमगढ़ के थाना जहानागंज क्षेत्र के ग्राम पटहुआं निवासी अरविंद सिंह ने अपने 30 वर्षीय पुत्र जसवंत सिंह को पुलिस द्वारा गलत तरीके से चोरी के आरोप में जेल भेजे जाने का गंभीर आरोप लगाया है। अरविंद सिंह का दावा है कि उनका बेटा जसवंत मानसिक रूप से पूर्णतः विक्षिप्त है और वह किसी अपराध को अंजाम देने में सक्षम नहीं है।


अरविंद सिंह ने पुलिस उपमहानिरीक्षक, आजमगढ़ को दिए गए शिकायती पत्र में बताया कि 7 जून 2025 की सुबह जसवंत मानसिक स्थिति के कारण घर से निकलकर सड़क पर भटक रहा था। परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन उसका पता नहीं चला। कुछ घंटों बाद स्थानीय लोगों ने बताया कि पुलिस उसे उठाकर ले गई है। थाने पर पूछताछ करने पर पहले पुलिस ने जसवंत के वहां होने से इनकार किया, लेकिन बाद में उसे चोर बताकर जेल भेजने की बात कही गई।


शिकायती पत्र के अनुसार, पुलिस ने जसवंत को तीन पुराने मुकदमों 18 मई 2025 (मु.अ.सं. 168/2025), 28 जनवरी 2025 (मु.अ.सं. 0031/2025), और 5 फरवरी 2025 (मु.अ.सं. 0044/2025)—में नामित अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया। ये सभी मामले चोरी और अन्य अपराधों से संबंधित थे, जो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज थे। अरविंद सिंह का कहना है कि उनके बेटे का इन मामलों से कोई संबंध नहीं है और न ही उसके नाम पर पहले कोई मुकदमा दर्ज था। उन्होंने पुलिस को जसवंत का डॉक्टरी प्रमाण पत्र भी दिखाया, जिसमें उसकी मानसिक विक्षिप्तता और विकलांगता प्रमाणित है, लेकिन पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया।


परिजनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। अरविंद सिंह ने पुलिस उपमहानिरीक्षक से अनुरोध किया है कि इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच कराकर उनके बेटे को न्याय दिलाया जाए।

आजमगढ़ मेंहनगर पारिवारिक विवाद में वृद्धा की हत्या लाठी-डंडे से प्रहार कर भाभी को उतारा मौत के घाट


 आजमगढ़ मेंहनगर पारिवारिक विवाद में वृद्धा की हत्या



लाठी-डंडे से प्रहार कर भाभी को उतारा मौत के घाट



उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मेंहनगर थाना क्षेत्र के कटात चक कटात गांव में गुरुवार रात एक पारिवारिक विवाद में 65 वर्षीय वृद्धा बाढ़ी देवी की लाठी-डंडे से प्रहार कर हत्या कर दी गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।


जानकारी के अनुसार, गुरुवार रात करीब 9:30 बजे गांव निवासी मोती लाल राम की भैंस ने खूंटा तोड़कर पड़ोस में बंधी अपने बड़े भाई पतिराम की भैंस को मार दिया। इस बात को लेकर मोती लाल की पत्नी धर्मा और उनकी जेठानी बाढ़ी देवी के बीच कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर मोती लाल मौके पर पहुंचे और उन्होंने अपनी भाभी बाढ़ी देवी पर लाठी-डंडे से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं।


ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने घायल वृद्धा को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भिजवाया। हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उन्हें चक्रपानपुर सुपर फेसिलिटी अस्पताल रेफर किया, जहां रात करीब 11:30 बजे इलाज के दौरान बाढ़ी देवी की मौत हो गई।

पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले में आरोपी मोती लाल की तलाश जारी है। घटना से गांव में तनाव का माहौल है।

उत्तर प्रदेश 27 पीसीएस अफसर जल्द बनेंगे आईएएस, डीपीसी बैठक में 31 नामों पर विचार

उत्तर प्रदेश 27 पीसीएस अफसर जल्द बनेंगे आईएएस, डीपीसी बैठक में 31 नामों पर विचार




लखनऊ, उत्तर प्रदेश के 27 पीसीएस अधिकारियों को जल्द ही आईएएस पद पर पदोन्नति मिलने वाली है। बुधवार को नई दिल्ली में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के दफ्तर में विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक हुई, जिसमें 2008 और 2010 बैच के 31 पीसीएस अधिकारियों के नामों पर विचार किया गया। इस हफ्ते पदोन्नति के आदेश जारी होने की संभावना है।


डीपीसी बैठक में दो चयन वर्षों के लिए 27 रिक्त पदों पर चर्चा हुई। इससे पहले अप्रैल में हुई डीपीसी बैठक में कुछ अधिकारियों के प्रस्तावों पर आपत्तियां थीं, जिन्हें दूर करने के बाद बुधवार को दोबारा बैठक आयोजित की गई। बैठक में यूपीएससी और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल, प्रमुख सचिव नियुक्ति एम देवराज और विशेष सचिव नियुक्ति विजय कुमार मौजूद रहे।


बैठक में 2008 बैच के 14 और 2010 बैच के 17 पीसीएस अधिकारियों के नामों पर विचार हुआ। चूंकि 2009 बैच में कोई भी पीसीएस अधिकारी सीधी भर्ती के लिए पात्र नहीं है, इसलिए 2010 बैच के अधिकारियों को भी मौका मिला है।

 

लखनऊ बड़े अफसर के बेटे ने सिपाही को चौकी में घुसकर पीटा FIR में नाम गायब, पुलिस अब भी 'अज्ञात' की तलाश में


 लखनऊ बड़े अफसर के बेटे ने सिपाही को चौकी में घुसकर पीटा



FIR में नाम गायब, पुलिस अब भी 'अज्ञात' की तलाश में



उत्तर प्रदेश, लखनऊ राजधानी में कानून के रखवाले ही कानून तोड़ने वालों के सामने बेबस नजर आए। 29 मई 2025 की रात स्टेडियम पुलिस चौकी में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बेटे और उसके तीन दोस्तों ने सिपाही अर्जुन चौरसिया को बेरहमी से पीटा, गालियां दीं, वर्दी फाड़ी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। पीड़ित सिपाही अर्जुन चौरसिया की तहरीर पर हजरतगंज पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 141/2025 अंतर्गत धारा 115(2),121(1),131,352,351(3), भारतीय न्याय सहिंता (BNS) 2023 पंजीकृत कर जाँच कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़ित सिपाही की FIR में तीन आरोपियों—जयप्रकाश सिंह, अभिषेक चौधरी और सुमित कुमार—का ही नाम दर्ज है, जबकि चौथा आरोपी, जो कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारी का बेटा है, 'अज्ञात' है। करीब दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद पुलिस इस 'अज्ञात' की पहचान नहीं कर पाई है।


FIR के अनुसार, रात को स्टेडियम पुलिस चौकी के पास सफेद इनोवा गाड़ी में सवार चार युवक आपस में झगड़ा कर रहे थे। सिपाही अर्जुन ने उन्हें टोका तो नशे में धुत युवकों ने गालियां देना शुरू कर दिया। बात बढ़ी तो वे सिपाही को खींचकर चौकी तक ले गए और वहां मारपीट की। सूत्रों के मुताबिक, चारों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बेटा भी शामिल था, जिसे सिपाही की टोकाटाकी सबसे ज्यादा नागवार गुजरी। उसने तुरंत अपने पिता को घटना की सूचना दी।



सूचना पर हजरतगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और सिपाही को युवकों से बचाया। चारों को थाने ले जाया गया, लेकिन वहां वरिष्ठ अधिकारी अपनी पत्नी के साथ पहुंच गए। सूत्र बताते हैं कि अधिकारी की पत्नी ने बेटे को थाने लाए जाने पर जमकर हंगामा किया और नाइट ड्यूटी अफसर को भला-बुरा कहा। बाद में अधिकारी ने पत्नी को शांत कराया और बेटे समीक्षा को लेकर घर चले गए। तीनों नामजद आरोपियों को निजी मुचलके पर जमानत मिल गई, लेकिन चौथे 'अज्ञात' का कोई अता-पता नहीं।


डीसीपी मध्य आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि तीनों आरोपियों को जमानत दे दी गई थी। चौथे आरोपी की तलाश और मामले की जांच जारी है।


48 घंटों में जटिल मामले सुलझाने का दावा करने वाली लखनऊ पुलिस दो हफ्ते बाद भी चौथे आरोपी की पहचान क्यों नहीं कर पाई? सूत्रों का कहना है कि बड़े अधिकारी के दबाव के चलते मामले को रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है। यह घटना सवाल उठाती है कि क्या कानून सबके लिए बराबर है, या रसूख वालों के लिए रास्ते अलग हैं?